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कला केवल रचना नहीं है, यह आत्मा की अभिव्यक्ति और भावनाओं का शाश्वत रूप है

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कांच की बोतलों के अंदर अद्भुत कलाकृतियाँ

नमस्कार!
मैं त्रिलोक सिंधिया, मंडला (मध्य प्रदेश) का एक विशिष्ट कलाकार हूँ। मुझे बाँस और कांच की बोतलों के अंदर अद्भुत और अनोखी कलाकृतियाँ बनाने में विशेष दक्षता प्राप्त है। मेरा कला-सफर बचपन से ही प्रारंभ हुआ, और वर्षों की साधना से मैंने अपनी शिल्पकला को निखारा और संपूर्णता की ओर मोड़ा।
मेरी कलाकृतियाँ केवल सौंदर्य का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण, पुनर्चक्रण और भारतीय संस्कृति की गरिमा को जीवंत रखने का प्रयास हैं। मेरी रचनाएँ समाज को यह संदेश देती हैं कि —
"हर साधारण वस्तु में असाधारण सुंदरता और नवाचार की संभावना छिपी होती है।"
मेरी प्रमुख कलाकृतियों में ‘बोतल के अंदर इंडिया गेट’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिसे मैंने लगभग 40 दिनों की कठिन साधना से तैयार किया। यह अनूठी कृति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित हुई है और मेरे कार्य की पहचान बन गई है। मेरी प्रेरणा भारतीय संस्कृति, इतिहास और परंपराओं से आती है, जिन्हें मैं अपनी हर कृति में सजीव करने का प्रयास करता हूँ।

मूर्तिकला

मूर्तियाँ विभिन्न भारतीय सांस्कृतिक प्रतीकों और स्मारकों को दर्शाती हैं। इनमें इंडिया गेट, ताजमहल, कुतुब मीनार जैसी इमारतों की लघु मूर्तियाँ शामिल हैं।

धार्मिक कलाकृतियाँ

देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, धार्मिक प्रतीकों को बोतल के अंदर बनाने में उन्हें विशेष निपुणता प्राप्त है।

बाँस और बोतल कला के साधक

"कला वही है जो साधारण में असाधारण देखे, बेकार को उपयोगी बनाए और समाज को एक नई दृष्टि दे।"

मेरी रचनाओं का उद्देश्य केवल सौंदर्य गढ़ना नहीं है, बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी और परंपराओं के सम्मान का संदेश देना है।